आशीयाना वो खाबों का,
जो बडा ही सुहाना था ।
हम भी थे खास जब तक,
उस फरीशते का याराना था ।
एक दिन अॉंख खुली और
किरनें लाई संदेश....
चला गया है वो वापस,
यहां से उसका आना था ।
जिंदगी हमें देकर था छोड गया वो तन्हा
पर उसे तो... साथ निभाना था ।
तारे ना जाने कितने टूटे होंगे
उस रात में...
जब खुदा ने उसे अपने घर
बुलाना था ।
अंधेर हुआ वो आशीयाना,
फिर भटके ये कदम जिन्हें
उसी की ज्योती ने तो राह दिखाना था ।
पहचान मिटी थी मेरी...
पर मुझे तो खुद ही अपने
वजूद का अहसास दिलाना था ।
उमीदें रखी थी बहुतों ने मुझपे,
पर कोई ना जाना कि मेरे
पास तो गमों का ही नज़राना था ।
बरबादी की और वो बढते कदम
जो ना कभी थमने पर थे,
खुदा की शिकायत से उन्हें
फिर टकराना था ।
गिरा मुँह के बल और..
चूर-चूर हुआ फिर वो आशीयाना था ।
तरस आया खुदा को और
शबी भेजी उस फर ीशते की,
जिसे मैंने तब तो ना पहचाना था ।
ढूंढती रही यह अॉंखें उस अहसास को
ना जाने कितने चहरों में,
जिन्होनें सिरफ बेगानेपन ही
का अहसास दिलाना था ।
आया तूफान,उठी लहरें और
चिलाएया जिंदगी का हर पैमाना था ।
फिर आहट आई किसी के स्प्शृ की,
वो मेरा खुदा..जिसने मुझे
हमेशा से अपना बनाना था ।
और कहा उसने-ढूंढता था तू जिस अहसास को,
उस प्यार का अहसास तो मैंने ही तुम्हें दिलाना था ।
फिर समझ में आई मेरे,यह वक्त ही है
जिसने मुझे हर हालात में "जीना"
सिखाना था..।
-CS
Very nice
ReplyDeleteTotally hearted feeling
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